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किंकरा
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तीखा
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ଅତ୍ୟୁଚ୍ଚ
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ਤਿੱਖੀ
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ಕೋಮಲವಾದ
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गेस्रेम
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shrill
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कर्णभेदिन्
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ഉറച്ച
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ఘాటైన
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মিহি
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সূক্ষ্ম
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તીવ્ર
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piercing
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sharp
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மெல்லிய
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खर
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शंकराची आरती - भस्मप्रिया भूतपते सदय शंक...
देवीदेवतांची काव्यबद्ध स्तुती म्हणजेच आरती. The poem composed in praise of God is Aarti.
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शंकराची आरती - महारुद्रा जगन्नाथा शिवाभो...
देवीदेवतांची काव्यबद्ध स्तुती म्हणजेच आरती. The poem composed in praise of God is Aarti.
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दत्ताची आरती - जयजयजी दत्तराज भॊ दिगं...
देवीदेवतांची काव्यबद्ध स्तुती म्हणजेच आरती. The poem composed in praise of God is Aarti.
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भजन - षड्रिपु जाळियले भक्तिने ...
भजन - A bhajan or kirtan is a Hindu devotional song , often of ancient origin. Great importance is attributed to the singing of bhajans with Bhakti , i.e. loving devotion. "Rasanam Lakshanam Bhajanam" means the act by which we feel more closer to our inner self or God, is a bhajan. Acts which are done for the God is called bhajan.
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शंकराची आरती - जयजयजी मदनांतक गौरीशंकरा ...
देवीदेवतांची काव्यबद्ध स्तुती म्हणजेच आरती. The poem composed in praise of God is Aarti.
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भजन - हृदयी वृंदावनी एक तुळशी ब...
भजन - A bhajan or kirtan is a Hindu devotional song , often of ancient origin. Great importance is attributed to the singing of bhajans with Bhakti , i.e. loving devotion. "Rasanam Lakshanam Bhajanam" means the act by which we feel more closer to our inner self or God, is a bhajan. Acts which are done for the God is called bhajan.
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शंकराची आरती - जय जय शिव शिव शिव शंभुशं...
देवीदेवतांची काव्यबद्ध स्तुती म्हणजेच आरती.
The poem composed in praise of God is Aarti.
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उड्डामरेश्वरतन्त्र - चतुर्थः पटलः
‘उड्डामरेश्वरतन्त्र ’ हे तंत्रशास्त्रातील अत्यंत दुर्मिल आणि गुप्त तंत्र आहे, साधक याचा उपयोग अतिशय निर्वाणीच्या क्षणी करतात.
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भजन ज्ञानेश्वर माउली
भजन - ज्ञानेश्वर माउली ज्ञानराज माउली तुकाराम ।
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गणपतीची आरती - जय जय श्रीगजवदना , हे गणर...
देवीदेवतांची काव्यबद्ध स्तुती म्हणजेच आरती.
The poem composed in praise of God is Aarti.
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लावणी - हसा बसा वरकांती बहुत भय म...
शाहीर प्रभाकर महाराष्ट्रातील कवी मंडळातील शाहीर कवी म्हणून ओळखले जातात.
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उत्तरखण्डः - अध्यायः ९४
भगवान् नारायणाच्या नाभि-कमलातून, सृष्टि-रचयिता ब्रह्मदेवाने उत्पन्न झाल्यावर सृष्टि-रचना संबंधी ज्ञानाचा विस्तार केला, म्हणून ह्या पुराणास पद्म पुराण म्हणतात.
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रामजोशी - महाराज गवरीनंदना अमरवंद...
रामजोशांनी लिहिलेली कविता मोठी मधुर, अर्थसंपन्न व प्रासअनुप्रासांची पैंजणे घालून ठुमकणारी अशी आहे. शृंगारपर, उपदेशपर व देवदैवतविषयक अशा अनेक प्रकारच्या लावण्या रामजोशांनी लिहिल्या.
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समाधि प्रकरण - उपसंहार
निरंजन माधवांच्या कवितेतील काव्यस्फूर्ति उच्च दर्जाची असून, भाषेत रसाळपणा व प्रसाद सोज्वळता आहे.
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अध्याय ५८ वा - श्लोक ११ ते १६
श्रीकृष्णदयार्णवकृत हरिवरदा
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उत्तर पर्व - अध्याय १६४
भविष्यपुराणांत धर्म, सदाचार, नीति, उपदेश, अनेक आख्यान, व्रत, तीर्थ, दान, ज्योतिष अणि आयुर्वेद शास्त्र वगैरे विषयांचा अद्भुत संग्रह आहे.
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रसहृदयतंत्र - अध्याय १
प्रसिद्ध रसायनशास्त्री श्री गोविन्द भगवतपाद जो शंकराचार्य के गुरु थे, द्वारा रचित ‘रसहृदयतन्त्र' ग्रंथ काफी लोकप्रिय है।
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अध्याय ४५ वा - श्लोक ४१ ते ४५
श्रीकृष्णदयार्णवकृत हरिवरदा
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जनांस शिक्षा अभंग - ५६०१ ते ५६१०
तुकारामबाबा आणि त्यांचे शिष्य यांच्या अभंगांची गाथा.
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उत्तरखण्डः - अध्यायः १७७
भगवान् नारायणाच्या नाभि-कमलातून, सृष्टि-रचयिता ब्रह्मदेवाने उत्पन्न झाल्यावर सृष्टि-रचना संबंधी ज्ञानाचा विस्तार केला, म्हणून ह्या पुराणास पद्म पुराण म्हणतात.
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गोंधळ अभंग - ६९५१ ते ६९५४
तुकारामबाबा आणि त्यांचे शिष्य यांच्या अभंगांची गाथा.
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अध्याय ३७ वा - आरंभ
श्रीकृष्णदयार्णवकृत हरिवरदा
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निजानंदसाधने
रंगनाथ स्वामींचा ( निगडीकर ) जन्म शके १५३४ मध्ये मार्गशीर्ष शु. १० मी रविवारीं झाला.
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उड्डामरेश्वरतन्त्र - त्रयोदशः पटलः
‘उड्डामरेश्वरतन्त्र ’ हे तंत्रशास्त्रातील अत्यंत दुर्मिल आणि गुप्त तंत्र आहे, साधक याचा उपयोग अतिशय निर्वाणीच्या क्षणी करतात.
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युद्धखण्डः - अध्यायः ५१
शिव पुराणात भगवान शिवांच्या विविध रूपांचे, अवतारांचे, ज्योतिर्लिंगांचे, शिव भक्तांचे आणि भक्तिचे विस्तृत वर्णन केलेले आहे.
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अध्याय ६२ वा - श्लोक १ ते ५
श्रीकृष्णदयार्णवकृत हरिवरदा
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उत्तरखण्डः - अध्यायः १८७
भगवान् नारायणाच्या नाभि-कमलातून, सृष्टि-रचयिता ब्रह्मदेवाने उत्पन्न झाल्यावर सृष्टि-रचना संबंधी ज्ञानाचा विस्तार केला, म्हणून ह्या पुराणास पद्म पुराण म्हणतात.
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पातालखण्डः - अध्यायः ३८
भगवान् नारायणाच्या नाभि-कमलातून, सृष्टि-रचयिता ब्रह्मदेवाने उत्पन्न झाल्यावर सृष्टि-रचना संबंधी ज्ञानाचा विस्तार केला, म्हणून ह्या पुराणास पद्म पुराण म्हणतात.
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कृतयुगसन्तानः - अध्यायः ३००
लक्ष्मीनारायणसंहिता
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उत्तरखण्डः - अध्यायः २४४
भगवान् नारायणाच्या नाभि-कमलातून, सृष्टि-रचयिता ब्रह्मदेवाने उत्पन्न झाल्यावर सृष्टि-रचना संबंधी ज्ञानाचा विस्तार केला, म्हणून ह्या पुराणास पद्म पुराण म्हणतात.
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भजनावली - गुरूवारची भजनावली
भजनाचे सांप्रदाय - एक रामदासी सांप्रदाय आणि दुसरा वारकरी सांप्रदाय.
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अभंग - ६३२५ ते ६३४८
तुकारामबाबा आणि त्यांचे शिष्य यांच्या अभंगांची गाथा.
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अध्याय ९ वा - आरंभ
श्रीकृष्णदयार्णवकृत हरिवरदा
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